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जन्म करणों के आधार पर जातक के विषय में जाने ——-

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जन्म करणों के आधार पर जातक के विषय में जाने ——-

बव ….. बव करण में जन्म लेने वाला जातक मान सम्मान से परिपूर्ण,धर्म के प्रति आस्था रखने वाला, मांगलिक कार्यों को करने वाला तथा किसी भी कार्य को सुव्यवस्थित तरीके एवं सोच समझ कर करने वाला होता है।

बालव…. बालव करण में उत्पन्न जातक अनेक तीर्थों का भ्रमण करने वाला, देवताओं का परम भक्त, विद्या क्षेत्र में निपुण, अर्थ से परिपूर्ण तथा राजपूजित होता है अर्थात बालव करण में जन्म शुभ कहा गया है।

कौलव….. करण में जन्म लेने वाला मनुष्य मिलनसार प्रवृत्ति वाला, अधिकाधिक मित्रों वाला तथा अपने सुन्दर व्यवहार से किसी को भी प्रभावित कर मित्र बना लेने वाला होता है अर्थात् कौलव करण में जन्म शुभ होता है।

तैतिल ……तैतिल करण में उत्पन्न जातक भाग्य का धनी, धन-धान्य से युक्त, अच्छे लोगो कि संगति में रहने वाला तथा सभी से प्रेम भाव में रहने वाला होता है अर्थात् तैतिल करण में जन्म शुभ कहा गया है।

गर…. गर करण में जन्म लेने वाला मनुष्य कृषि सम्बन्धी कार्य तथा गृह से सम्बन्धी कार्य में विशेष रुचि रखने वाला तथा वाञ्छित वस्तु को यत्न के द्वारा प्राप्त करता है।

वणिज ….वाणिज करण में जन्म लेने वाला व्यक्ति नाम के अनुसार कर्म से आजीविका चलाने वाला अर्थात् वाणिज्य कर्म करने वाला तथा इच्छित वस्तु को देश-विदेश की यात्रा द्वारा प्राप्त करने वाला होता है।

विष्टि (भद्रा) ….करण अशुभ कहा गया है विष्टि करण में जन्म लेने वाला अशुभ कार्यों को करने में सदैव प्रवृत्त रहता है परस्त्री के प्रति आशक्त तथा नीच कार्यों में कुशल होता है।

शकुनि ….शकुनि करण में जन्म लेने वाला जातक वैद्य विद्या से अपनी आजीविका का यापन करने वाला औषधि आदि निर्माण तथा सेवन की विधि में प्रवीण तथा पौष्टिक कर्म करने में कुशल होता है।

चतुष्पद …. चतुष्पद करण में जन्मा व्यक्ति देव तथा द्विजों (ब्राह्मणों) का भक्त, गौ सम्बन्धी कार्य जैसे गौ सेवक, गौ के द्वारा प्राप्त दूध-दही-घी से व्यापार करने वाला अथवा गौ चिकित्सक होता है।

नाग … नाग करण में उत्पन्न जातक धीवरों मत्स्य पालकों से दोस्ती करने वाला दारुण कर्म में रुचि रखने वाला तथा दुर्भाग्य से युक्त चञ्चल नेत्र वाला होता है।

किंस्तुघ्न …. किंस्तुघ करण में उत्पन्न जातक सदैव शुभ कर्म करने में रत रहता है तथा उसका सदैव मंगल ही होता है।

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